IPC 34 in Hindi

IPC 34 in Hindi – आईपीसी धारा 34 क्या है और क्यों लगती है?

भारत में अपराध पढता जा रहा है प्रतिदिन हम देखते है की आज इस क्षेत्र में यह हो गया एवं उस क्षेत्र में यह हो गया। इस वर्ष 2023 में प्रतिवेदन के मुताबिक भारत में दर्ज किए गए कुल अपराधों की संख्या प्रति 100,000 लोगों पर 445.9 है। इसी से हम अंदाजा लगा सकते है, की प्रतिदिन भारत कितने अपराध होते है और इसका मुख्य कारण जनसंख्या विस्फोट भारत में गरीबी और अत्यंत निम्न पारिवारिक स्तर होता है।

किसी में देश में जब अपराध बढ़ता है, तो उसको ख़त्म या कम करने के लिए कई प्रकार की धाराएं लागू की जाती है, ताकि जो व्यक्ति जिस प्रकार का अपराध कर रहा है उसको उसी प्रकार का दंड मिल सके, जिसमे से एक आईपीसी धारा 34 (IPC Section 34) भी है। यदि आपने या आपके दोस्त, परिवार में से किसी ने भी कोई ऐसा अपराध कर दिया है जो आईपीसी धारा 34 के अंतर्गत आता है और आप जानना चाहते है, की आईपीसी धारा 34 क्या एवं 34 की धारा में सजा हो सकती है क्या? आदि तो आप सही जगह है।

इस लेख के जरिए हम आईपीसी धारा 34 की सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करने जा रहे है। जो आपके लिए काफी महत्वपूर्ण हो सकती है। कई वार ऐसा होता है, जिस अपराध में हम शामिल नहीं होते है फिर भी हमारा नाम उसमे दर्ज कर दिया जाता है, इसलिए कानूनी जानकारियां हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण होती है। धारा 34 का मतलब क्या होता है, धारा 34 में जमानत कैसे मिलती है एवं धारा 34 a क्या है आदि को जानने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़ें।

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धारा 34 क्या है – IPC Section 34 in Hindi

IPC 34 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 34 को 1860 में बढ़ते अपराध के कारन लागू किया गया था, धारा 34 के अंतर्गत (Under Section 34) जब किसी आपराधिक कृत्य को एक समूह के द्वारा आगे बढ़ाया जाता है, परन्तु कोई एक व्यक्ति उस अपराध को अंजाम देता है लेकिन यह स्पष्ट हो जाता है की उस पूरे समूह के बीच एक सामान्य तरीके से अंजाम दिया गया था, तो उस समूह में जितने भी व्यक्ति होते है उनको भी इस कार्य को पूर्ण करने का उत्तरदायी ठहराया जाता है।

यदि दो या दो से अधिक लोग संयुक्त रूप से किसी भी प्रकार का कोई अपराध करते हैं, तो उनमें से प्रत्येक पूरे अपराध के लिए जिम्मेदार होता है और धारा 34 के अंतर्गत उन पर इस तरह आरोप लगाया जा सकता है, जैसे कि उन्होंने अकेले इस अपराध को अंजाम दिया हो। धारा 34 के अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण बात यदि किसी व्यक्ति ने एक ही अपराध किया है, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 34 उसपर लागु नहीं की जाएगी यदि एक बाद एक अपराध करता है तो उसको इस धारा के अंतर्गत सजा दी जायेगी।

क्या धारा 34 एक अपराध है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 34 अपने आप में कोई अपराध नहीं है, हालाँकि जब इसे अन्य धाराओं (Sections) के साथ पढ़ा जाता है तो यह एक अपराध बन जाता है, और इस धारा को आकर्षित करने के लिए एक से ज्यादा व्यक्तियों द्वारा एक अलग अपराध करना पड़ता है। इसका उद्देश्य अपराधियों (Criminals) को संयुक्त दायित्व (Joint liability) के सिद्धांत का पालन करके दोषी ठहराना है जब कोई कार्य एक सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने के लिए उनके द्वारा मिलकर किया जाता है। धारा 34 का सार एक विशेष परिणाम लाने के लिए आपराधिक कार्रवाई में भाग लेने वाले व्यक्तियों के दिमाग की एक साथ सहमति है।

धारा 34 के उदाहरण (IPC Section 34 Example)

यहाँ हम आपको उदहारण सहित समझा रहे है। यदि ऊपर दिया गया विवरण आपके समझ नहीं आया है तो नीचे उदहारण बता रहे है, आशा है इसके बाद आप आसानी से IPC Section 34 क्या होता है समझ जायेंगे।

एक समूह है, जिसमे 5 लोग रहते है जिनका नाम सुरेश, नरेश, मुकेश, गणेश एवं महेश यह एक जुट में रहते है। इनका काम पैसे लेकर अपहरण करना, किसी को मारना एवं चोरी करना आदि। एक दिन इनको एक व्यक्ति को मरने की सुपारी मिलती है, अब यह पांचों एक जुट बनाकर उस व्यक्ति को मारने जाते है।

इस समय वह व्यक्ति बाजार में कुछ सब्जियां खरीदने जाता है। अब यह ग्रुप एक जुट उस व्यक्ति की टाक लगाए हुए है, जैसे ही वह बाजार से सामान लेकर बहार आता है, इनमे से एक अपराधी जिसका नाम महेश था वह उसपर चाकू निकाल कर हमला कर देता है, लेकिन वह व्यक्ति अपना वचाव करता है और चाकू उसके पेट में लगता है और वहीं गिर जाता है।

अब वह पाँचों उसपर फिर से हमला करने को दौड़ते है परन्तु वह चिल्लाता है और लोगों की भीड़ इक्कठी हो जाती है और वह पांचों अपराधी भाग जाते है।

अब उस व्यक्ति पर हमला महेश ने किया था भारतीय दंड संहिता की धारा 323 के तहत उसको सजा मिलती है, परन्तु बाद में यह भी स्पष्ट होता है की इसमें सुरेश, नरेश, मुकेश एवं गणेश भी शामिल थे और इनका भी महेश जैसा सामान्य इरादा था उस व्यक्ति को मारने का, तो अब धारा 34 के आधार पर इनको भी वही सजा मिलती है तो महेश को सुनाई जाती है।

धारा 34 के मुख्य अनिवार्यताएं? (Essential of IPC 34 )

यहाँ हम भारतीय दंड संहिता की धारा 34 के तहत क्या अनिवार्यताएं है, जिससे एक अपराधी को सजा मिल सकती है।

  • समूह में सभी आरोपियों का एक ही इरादा हो
  • अपराध में एक समूह हो या एक से अधिक आरोपी एकजुट हों
  • आरोपी द्वारा किए गए अपराध का सबूत होना अनिवार्य है
  • सभी आरोपियों के नाम का उल्लेख एफ.आई.आर. या वाद/शिकायत हो
  • आईपीसी धारा 34 के साथ अन्य आईपीसी धारा भी हो
  • आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी लगाई जा सकती है
  • किसी भी निर्दोष व्यक्ति पर झूठे आरोप और झूठी आईपीसी धारा नहीं लगाई जानी चाहिए।

34 की धारा में सजा हो सकती है क्या?

धारा 34 किसी विशिष्ट सज़ा का प्रावधान नहीं करती है। यह संयुक्त दायित्व का एक सिद्धांत है जो एक सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने के लिए किए गए आपराधिक कृत्य में शामिल व्यक्तियों के दायित्व को स्थापित करता है। ऊपर हमने आपको उदारण में यही समझाया है। आईपीसी धारा के तहत किसी अपराध के लिए सजा, किए गए अपराध की प्रकृति और आईपीसी के तहत उस अपराध के लिए निर्धारित सजा पर निर्भर करेगी।

जब कोई अपराध किसी भी प्रकार का एक समूह एवं कई व्यक्तियों द्वारा एक समान इरादे से अंजाम दिया जाता है, तो उस ग्रुप के प्रत्येक व्यक्ति को उस अपराध के लिए उत्तरदायी माना जाता है जैसे कि उन्होंने इसे व्यक्तिगत रूप से किया हो। अंतर्निहित अपराध के लिए सजा, जिस पर आईपीसी की धारा 34 लागू होती है, आईपीसी के प्रासंगिक प्रावधानों द्वारा निर्धारित की जाएगी जो उस विशिष्ट अपराध को परिभाषित करते हैं।

भारतीय दंड संहिता की धारा 34 सज़ा को परिभाषित या उसके बारे में नहीं बताती है। इस धारा आईपीसी 34 के साथ आरोपित अन्य आईपीसी धाराओं के आधार पर सजा तय की जाती है।

आईपीसी की धारा 34 बचाव कैसे करें?

यह एक ऐसी धारा है जिसमे सबसे अधिक निर्दोष व्यक्ति को सजा मिलती है। यदि आपके साथ भी ऐसा हो रहा है या होने जा रहा है तो आप घबराएं नहीं, क्योंकि नीचे हम भारतीय दंड संहिता की धारा 34 से बचाव के लिए जानकारी देने जा रहे है। यदि आप निर्दोष है और आपको जावरिया इसमें फसाया जा रहा है, तो यह आपके लिए लाभदायक हो सकती है।

  • सामान्य इरादे या सामान्य उद्देश्य: यदि आप निर्दोष है और आपको फसाया जा रहा है, तो अपने बचाव में आपको यह व्यान देना है की मेरा इस अपराध को अंजाम देने में ना कोई सामान्य इरादा था और ना ही सामान्य उद्देश्य, मैं इस अपराधी को कुछ दिन पहले से ही जानता हूँ, यह मुझे अपने साथ धोके से ले गया मुझे पता भी नहीं था की यह इतना बढ़ा अपराध को अंजाम देगा। यदि मुझे पता होता तो मैं इसके साथ कभी ना आता। अब आपको सबूत पेश करना है।
  • जबरदस्ती आरोपी: कई वार ऐसा होता है की कोई हत्या या अन्य अपराध होता है और अपराधी भाग जाता है तो वहां उपस्तिथि में अगर पुलिस आपको पकड़ लेते है। यह जबरदस्ती आरोप होता है क्यूंकि पुलिस के पास आपके खिलाफ कोई सबूत नहीं होता है की इस घटना को आपने अंजाम दिया है। अब ऐसे में आपको यह शाबित करना होगा की जब यह घटना हुई उस बक्त मैं वहां उपस्थित ही नहीं थे।
  • सबूत ना मिलना: अब आप निर्दोष हैं, तो जाहिर सी बात है की आपके खिलाफ सबूत भी नहीं होंगे, यदि कोई सबूत मिल भी जाता है तो आपको उसे गलत ठरना होगा एवं अपना सबूत को दिखाना होगा और उसे सही ठरना होगा।

क्या धारा 34 में वकील करना चाहिए? 

वर्तमान में भारतीय दंड संहिता की कई प्रकार की धारा लागू है, जिसमे हर एक धारा की अपनी सजा है और क़ानून एक है। 34 धारा के अनुसार यदि एक से अधिक व्यक्ति किसी अपराध को बढ़ावा देते है, लेकिन उसमे एक व्यक्ति गलती से भी कोई अपराध करता है, किन्तु उसे नहीं करना था, अब उस व्यक्ति के साथ जो लोग थे वह भी उस अपराध के उतने ही दण्डीय है जितना की वह अकेला और हर अपराध की सजा होती है।

यदि आपका अब भी यही सवाल है की क्या धारा 34 में वकील की आवश्यकता होती है, तो हमारा यही जवाव है जी हाँ होती है। यदि आप निर्दोष है और आपको जावरिया फसाया जा रहा है तब तो आपके एक अच्छे वकील की बेहद आवश्यकता है। क्योंकि एक वकील ही है जो आपको इस मामले से निकल सकता है।

महत्वपूर्ण: भारतीय दंड संहिता धारा 34 को कभी भी एक छोटी धारा नहीं समझना चाहिए, यह धारा एक व्यक्ति का जीवन नष्ट कर सकती है, क्यूंकि जब धारा 34 को किसी व्यक्ति पर लागू किया जाता है, तो वह किसी प्रकार की सरकारी नौकरी करने के योग्य होता नहीं है एवं किसी भी सरकारी संस्थान में उसे नहीं बैठाया जाएगा। यदि किसी विद्यार्थी पर यह धारा लगती है तो वह कभी भी किसी सरकारी परीक्षा देने के योग्य नहीं रहता और ना ही किसी सरकारी करने के योग्य रहता है।

यदि आप एक विद्यार्थी है या स्नातक है, तो कुछ भी हो जाए आपको यही कोसिस करनी है की यह धारा 34 आप पर नहीं लगे, इसलिए हम आपको सलाह देंगे की अपने क्षेत्र के एक अच्छे से वकील से बात करें जिसने पहले भी ऐसे मामलों को लड़ा हो एवं जीता भी हो।

धारा 34 से संबंधित प्रश्न उत्तर – FAQs

इस खंड में हम धारा 34 से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर प्रस्तुत कर रहे है, यदि आपका कोई सवाल है और वह इस सूचि में शामिल नहीं है तो हमे टिप्पड़ी देकर अवश्य बताएं, हम इस सूचि में आपके प्रश्न का उत्तर अवश्य देंगे।

धारा 34 में जमानत कैसे मिलती है?

भारतीय दंड संहिता धारा 34 में मुख्य रूप से कोई अपराध नहीं होता है, इस धारा का लक्ष्य किसी अपराध को स्पष्ट करने का होता है, और इसी के कारण इस धारा को भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के साथ लगा दिया जाता है। यदि हम धारा 34 में जमानत की बात करें तो इसमें जमानत का कोई प्रावधान नहीं होता है।

धारा 34 कब लगती है?

आईपीसी की धारा 34 किसी भी व्यक्ति पर तब लगती है, जब व्यक्ति ने कोई ऐसा अपराध एक बार से ज्यादा किया हो जो धारा 34 के अंतर्गत आता है। क्योंकि धारा 34 एक बार में नहीं लगती है।

क्या धारा 34 के लिए भौतिक उपस्थिति आवश्यक है?

भारतीय दंड संहिता धारा 34 के तहत यह आवश्यक नहीं है की एक अभियुक्त को धारा 34 के लागू होने के लिए भौतिक क्रिया का अपराध करना आवश्यक हो। इसलिए, अभियुक्त की केवल मौजूदगी पर पर्याप्त होगी। इसलिए, अभियुक्त-मुकदमेबाज द्वारा दायर की गई अपील को खारिज करते समय, मूल शिकायतकर्ता द्वारा दायर की गई अपील को मंजूर किया जाना चाहिए।

धारा 34 लग जानें पर क्या होगा?

भारतीय दंड संहिता धारा 34 तहत यदि किसी व्यक्ति पर यह धारा लागु की जाती है, तो वह जीवन भर किसी सरकारी नौकरी करने के योग्य नहीं है एवं किसी भी सरकारी संस्थान में बैठने के योग्य नहीं होता है। वहीं यदि धारा 34 किसी विद्यार्थी पर लग जाती है तो वह कभी भी सरकारी परीक्षा देने के योग्य नहीं रहता है।

आईपीसी धारा 34 के मुख्य तत्व क्या है?

भारतीय दंड संहिता धारा 34 के तहत कई ऐसे तत्व आते है जैसे कोई भी कैसी भी आपराधिक गतिविधि हुई हो एवं उस किसी आपराधिक कृत्य को करने के लिए दो या दो से अधिक व्यक्तियों का समान्य इरादा हो और इसके बाद उस सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने के लिए एक आपराधिक कृत्य हो आदि यह सभी धारा 34 के कुछ मुख्य तत्व है।

IPC Section 34 Common Intention in Hindi 

अंतिम शब्द

इस लेख में हमने पुलिस एक्ट की धारा 34 से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी प्रदान कर दी है। आशा है प्रिय पाठकों यह आपके लिए बहुत उपयोगी रही होगी और धारा 34 आईपीसी आपके पूर्ण रूप से समझ आ गई होगी एवं अब कहीं और जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्योंकि इस लेख में हमने धारा 34 से जुडी छोटी एवं बड़ी जानकारी प्रस्तुत की है। इस लेख के अंत में हम आपको यही सलाह देंगे की प्रिय यदि आप पर या आपके किसी परिवार में धारा 34 लागू की जा रही है, तो अपने वचाव के लिए जो भी हो सके आप करें।

यदि आपका इस लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न है तो हमे टिप्पड़ी के माध्यम से बता सकते हैं, ऐसी जानकारी अपने सभी मित्र व् परिवार वालों को अवश्य शेयर करें, क्योंकि यह धारा 34 को समझना हर व्यक्ति के जीवन में आवश्यक और मत्वपूर्ण है।

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